डॉक्टर कैसे बनें (How to become a doctor in Hindi) डॉक्टर कैसे बने 2022? – Doctor Kaise Bane in 2022? –
डॉक्टर कैसे बने? इस सवाल ने आज कल के युवाओं को काफी मुश्किल में डाल दिया है। तो प्रिय पाठकों अगर आप एक अच्छे और सफल डॉक्टर बनना चाहते तो इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें। हमारे देश में एक डॉक्टर को बहुत ज़्यादा सम्मान दिया जाता है इसलिए अनेक की तादाद में इस देश के युवा स्टूडेंट्स बचपन से ही डॉक्टर बनने की तैयारी शुरू कर देते हैं। मगर डॉक्टर बनने के लिए मेहनत के साथ-साथ दिमाग से भी पढ़ना बहुत जरुरी होता है। चलिये इस आर्टिकल के माध्यम से हम सीखेंगे एक अच्छे डॉक्टर कैसे बनें।
डॉक्टर बनने के लिए क्या क्या करना होगा?
- सबसे पहले 10th पास करने के बाद 11th में विज्ञान से बायोलॉजी सब्जेक्ट (PCB) का चुनाव करे ।
- मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम -NEET की तैयारी करें
- NEET एंट्रेंस एग्जाम के लिए आवेदन करें, और अच्छे मार्क्स से पास करें ।
- मेडिकल का कोर्स पूरा करे और अच्छे मार्क्स से पास करे ।
- कोर्स पूरा होने के बाद डॉक्टर बनने लिए इंटर्नशिप करे ।
- इंटर्नशिप के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया से डिग्री मिलने के बाद आप डॉक्टर बन जायेंगे ।
डॉक्टर कैसे बनें (How to become a doctor) – कक्षा 11 वीं और 12 वीं में चुने जाने वाले विषय
डॉक्टर बनने के लिए फोकस्ड तैयारी की शुरुआत मुख्यतया दसवीं पास करने के बाद ही होती है। ऐसे में मेडिकल प्रोफेशन में उतरने के लिए हायर सेकंडरी एजुकेशन में सही विषयों का चयन करना बहुत जरूरी है। यहाँ आपको बता दें कि आपको 11 वीं और 12 वीं कक्षा में Physics , Chemistry और English के साथ Biology/Biotechnology का अध्ययन करना आवश्यक है।
डॉक्टर कैसे बनें (How to become a doctor) – नीट (यूजी) परीक्षा को जानें
डॉक्टर बनने के लिए सबसे मोस्ट स्टेप है – नीट परीक्षा । डॉक्टर बनने का लक्ष्य रखने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को NEET परीक्षा के बारे में पता होना चाहिए जो हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे ।
NTA द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) किसी भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा है। वर्ष 2020 से ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) और जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) में भी केवल नीट (एनईईटी) परीक्षा के माध्यम से ही यूजी मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन दिया जाएगा। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ( एनटीए ) द्वारा आयोजित नीट परीक्षा MBBS, बीडीएस और आयुष पाठ्यक्रमों – बीएचएमएस, बीएएमएस, BSMS, BUMS, BVSC और AH में प्रवेश के लिए देश की एक मात्र सबसे बड़ी स्नातक चिकित्सा प्रवेश परीक्षा है।
नीट (यूजी) परीक्षा कैसे होती है और कैसे और कितने प्रश्न आते है ?
NEET परीक्षा साल में एक बार ऑफलाइन मोड में आयोजित की जाती है। परीक्षा में फिजिक्स से 45 प्रश्न, केमिस्ट्री से 45 प्रश्न और बायोलॉजी से 90 प्रश्न (बॉटनी से 45 और जूलॉजी से 45) पूछे जाते हैं। केमिस्ट्री और फिजिक्स के हिस्से में 180 अंक हैं, जबकि बायोलॉजी खंड 360 अंकों का होता है। प्रत्येक सही उत्तर के लिए, 4 अंक आवंटित किए जाते हैं और प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1 अंक काट लिया जाता है। यह 720 नंबर का पेपर होता है।
डॉक्टर कैसे बनें (How to become a doctor) – नीट काउंसलिंग में भाग लेना
डॉक्टर बनने की प्रक्रिया में नीट काउंसलिंग में भाग लेना सबसे महत्वपूर्ण स्टेप है। नीट काउंसलिंग दो स्तरों (ऑल इंडिया और राज्यवार) पर आयोजित की जाती है। एनईईटी (NEET) ऑल इंडिया काउंसलिंग देश के सभी सरकारी कॉलेजों की 15% सीटों के लिए, साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अंतर्गत निर्धारित कोटे और डीम्ड विश्वविद्यालयों की 100% सीटों के लिए आयोजित की जाएगी। राज्यवार नीट काउंसलिंग शेष 85% सरकारी सीटों और साथ ही निजी कॉलेजों की 100% सीटों के लिए आयोजित की जाएगी। नीट काउंसलिंग ऑनलाइन मोड में आयोजित की जाएगी और इसमें भाग लेने के लिए न्यूनतम आवश्यक पर्सेंटाइल प्राप्त करने वाले छात्र की अप्लाई कर पाएंगे। नीट काउंसलिंग में हिस्सा लेकर मेडिकल कॉलेज में अलॉटमेंट पाना ‘डॉक्टर कैसे बनें’ प्रोसेस की अगली कड़ी है। काउंसलिंग के प्रत्येक दौर के बाद, सीट आवंटन परिणाम घोषित किए जाएंगे और एक बार सीट आवंटित हो जाने के बाद, एडमिशन की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए नामित कॉलेज में रिपोर्ट करना होगा।
Doctor बनने के लिए मुख्य बातें
- 12th (इंटर) Science विषय से किया होना चाहिए जिसमे पीसीबी (Physic ,Chemistry और Biology) विषय होना जरूरी है ।
- इंटर (12th) के हर विषय में कम से कम 50% मार्क्स होने चाहिए ।
- इंग्लिश भाषा का ज्ञान अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि अधिकतर किताब English में ही मिलेगा ।
- MBBS कोर्स के लिए अप्लाई करते आपकी उम्र कम से कम 17 साल और अधिकतम 25 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए ।
डॉक्टर कैसे बनें (How to become a doctor) – नीट एग्जाम के तहत आने वाले कोर्सेज
हमने नीट के माध्यम से ऑफर किये जाने वाले कोर्सेज की सूची नीचे दी रखी है। यह सूची ‘डॉक्टर कैसे बनें’ इस प्रश्न का एक और उत्तर प्रदान करेगी।
- एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी)
- बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी)
- बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी)
- बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी)
- बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी)
- बीएसएमएस (बैचलर ऑफ सिद्धा मेडिसिन एंड सर्जरी)
- बीवीएससी एंड एएच (बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंसेज एंड एनिमल हस्बैंड्री)
एमबीबीएस डॉक्टर कैसे बनें (How to become an MBBS doctor) – एमबीबीएस कोर्स
NEET परीक्षा के माध्यम से MBBS कोर्स में एडमिशन पाने के लिए, अत्यधिक कठिन प्रयास करने की आवश्यकता होगी क्यूंकि इसके लिए प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक होती है और ध्यान रहे कि एमबीबीएस कोर्स के लिए कटऑफ भी काफी अधिक रहता है। नीट परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर, अगर आप एमबीबीएस कोर्स के लिए निर्धारित कटऑफ को प्राप्त कर लेते हैं, तो डॉक्टर बनने की आपकी राह आसान हो जाएगी और आप अपनी कटऑफ के अनुसार अपनी पसंद के मेडिकल कॉलेज में एनरॉलमेंट भी प्राप्त कर लेंगे।
एमबीबीएस कोर्स की कुल अवधि साढ़े पांच साल है इसके अलावा इसमें एक साल की इंटर्नशिप भी करनी पड़ती है। इंटर्नशिप में छात्रों को कई सारी गतिविधियों में शामिल किया जाता है। स्टैण्डर्ड क्लीनिकल केयर के अलावा, इसमें छात्रों को वार्ड मैनेजमेंट, स्टाफ मैनेजमेंट एवं काउंसलिंग स्किल्स आदि के बारे में गहनता से सिखाया जाता है। एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेते समय एमबीबीएस कोर्स फीस (MBBS Course Fees) की जानकारी रखना भी बहुत जरूरी है। कोर्स पूरा करने के बाद, आप NEET-PG परीक्षा के माध्यम से स्पेशलाइजेशन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं।
स्पेशलिस्ट डॉक्टर कैसे बनें (How to become a Specialist doctor) – एमबीबीएस के बाद स्पेशलाइजेशन
एमबीबीएस के बाद विशेषज्ञता हासिल करना आज समय की जरूरत बन गई है क्योंकि मामूली बीमारियों के इलाज के लिए एक्सपर्ट्स की सलाह लेने का चलन बढ़ रहा है। आजकल बीमारियों के प्रकार भी बदल रहे हैं इसलिए किसी ख़ास फील्ड में स्पेशलाइजेशन हासिल करना कैंडिडेट्स को काफी मदद कर सकते हैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की सैलरी भी अच्छी खासी होती है। एमबीबीएस के बाद स्पेशलाइजेशन (Specialisation after MBBS) करना डॉक्टर्स के कैरियर को बेहतरीन बना सकता है।
स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनने के लिए आपको पोस्टग्रेजुएशन करना पड़ेगा। भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 2016 के सेक्शन 10 (D) के अनुसार, एम्स, नई दिल्ली; जिपमर, पुडुचेरी; PGIMER, चंडीगढ़; द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा, NIMHANS, बेंगलुरु; और श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, त्रिवेंद्रम के अलावा NEET-PG विभिन्न एमडी / एमएस, पीजी डिप्लोमा और डीएनबी सीईटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली एक एकल पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (eligibility-cum-entrance examination) है। एमबीबीएस के बाद विशेषज्ञता चुनने से पहले, उम्मीदवारों को यह तय करना चाहिये कि उन्हें कौन सी स्नातकोत्तर चिकित्सा की डिग्री लेनी है। व्यापक विशिष्टताओं के लिए स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा में एमडी, एमएस, पीजी डिप्लोमा और डीएनबी जैसे पाठ्यक्रम शामिल हैं।
दांतों के डॉक्टर कैसे बनें (How to become a Dentist) – बीडीएस कोर्स
डेंटिस्ट बनने के लिए छात्रों को बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) कोर्स करना चाहिए। बीडीएस (BDS) डेंटल साइंसेज में डिग्री प्रदान करता है। बीडीएस कोर्स की कुल अवधि चार साल है इसके अलावा इसमें एक साल की इंटर्नशिप भी करनी पड़ती है। इसके माध्यम से छात्र सर्जिकल ट्रीटमेंट, डेंटल एनॉटमी, पेडोडॉन्टिक्स, ओरल मेडिसिन और कम्युनिटी डेंटिस्ट्री आदि के बारे में गहराई से पढ़ सकते हैं। BDS के बाद, आप NEET-PG परीक्षा के माध्यम से MDS के लिए जाना चुन सकते हैं। एमडीएस (Master of Dental Surgery) एक पोस्टग्रेजुएट डेंटिस्ट्री कोर्स है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर कैसे बनें (How to become an Ayurvedic doctor) – बीएएमएस कोर्स
आयुर्वेद में डॉक्टर बनने के लिए आप NEET-UG परीक्षा के माध्यम से BAMS कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। यह कोर्स कई सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी कॉलेजों में ऑफर किया जाता है। इसकी कुल अवधि साढ़े पांच साल है जिसमें एक साल की इंटर्नशिप भी शामिल है। बीएएमएस कोर्स व्यापक व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा में वैज्ञानिक प्रगति के साथ ‘अष्टांग आयुर्वेद’ के बारे में संपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है। आयुर्वेदिक दवाओं के विशाल बाजार और आयुर्वेद के प्रति लोगों के झुकाव को देखते हुए, BAMS पाठ्यक्रम आपको एक लोकप्रिय चिकित्सक बनने में मदद कर सकता है। BAMS की डिग्री पूरी होने के बाद, छात्र को ‘आयुर्वेदाचार्य’ की उपाधि से दी जाएगी।
होम्योपैथिक डॉक्टर कैसे बनें (How to become a Homeopathic doctor) – बीएचएमएस कोर्स
बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) भारत में होम्योपैथिक शिक्षा में प्रदान की जाने वाली स्नातक की डिग्री है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी (CCIH) द्वारा बीएचएमएस में एडमिशन की प्रक्रिया को रेगुलेट किया जाता है। BHMS की कोर्स अवधि साढ़े पांच साल की है जिसमें एक साल का इंटर्नशिप भी शामिल है। बीएचएमएस में, छात्र होम्योपैथी चिकित्सा और सर्जरी पर ज्ञान प्राप्त करता है।
यद्यपि विश्व स्तर पर एलोपैथिक दवा को ज्यादा महत्व मिलता है लेकिन होम्योपैथिक दवा को कई प्रकार की कष्टकारी बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण माना जाता है। इसलिए होम्योपैथिक डॉक्टर बनना आपके कैरियर को ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। डॉ डीवाई पाटिल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, पिंपरी, पुणे की डॉ रीता संगतानी के अनुसार, “बीएचएमएस के बाद पोस्ट-ग्रेजुएशन कर लेने से इस क्षेत्र में तरक्की के अनेकों दरवाजे खुल सकते हैं। पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद, विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाने के लिए जा सकते हैं क्योंकि मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने के लिए न्यूनतम योग्यता पोस्ट-ग्रेजुएशन है। आप पीएचडी के लिए अप्लाई कर सकते हैं और होम्योपैथी फील्ड में एक नया मुकाम छू सकते हैं।”
यूनानी डॉक्टर कैसे बनें (How to become a Unani doctor) – बीयूएमएस कोर्स
मेडिकल फील्ड में अपना करियर बनाने के इच्छुक मेडिकल छात्र बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी) कर सकते हैं और यूनानी डॉक्टर बन सकते हैं। BUMS यूनानी चिकित्सा और शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में ऑफर की जाने वाली एक अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री है। बीयूएमएस कोर्स की समयावधि साढ़े पांच साल की है, जिसमें 4.5 साल शैक्षणिक सत्र और एक साल की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप होती है। इस प्रोग्राम के तहत एनॉटमी, टॉक्सिकोलॉजी, योग, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी आदि जैसे उन विभिन्न सब्जेक्ट्स को पढ़ाया जाता है, जिन्होंने हाल के दिनों में लोकप्रियता हासिल की है।
बीयूएमएस की अंडरग्रेजुएट डिग्री करने के बाद छात्र पोस्ट ग्रेजुएट के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। चूंकि उन्हें डॉक्टर (हाकिम) की डिग्री मिलती है, इसलिए वे राज्य और केंद्र सरकार के अस्पतालों जैसे सीजीएचएस, एमसीडी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, डिस्पेंसरियों में चिकित्सा अधिकारियों के रूप में नियुक्त हो सकते हैं। इसके अलावा, वे अपने निजी क्लिनिक, पॉलीक्लिनिक्स या नर्सिंग होम में मेडिकल प्रैक्टिशनर्स भी बन सकते हैं।
जानवरों का डॉक्टर कैसे बनें (How to Become a Veterinary doctor) – बीवीएएससी एंड एएच कोर्स
बीवीएससी एंड एएच की फुल फॉर्म बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हस्बैंड्री होती है। यह पांच साल का एक अंडरग्रेजुएट कोर्स है। इस कोर्स में पढ़ाई के दौरान, छात्रों को थ्योरी और लेक्चर-आधारित कक्षाओं के अलावा प्रैक्टिकल का अनुभव भी मिलता है, जिसको पूरा करने के बाद उन्हें पशु चिकित्सक या जानवरों के डॉक्टर की पदवी मिल जाती है। इस कोर्स की अवधि साढ़े 5 साल की होती है, जिसमें अंतिम 6 महीने इंटर्नशिप के लिए रिजर्व होते हैं। बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस पशुओं की बीमारियों के मेडिकल डायग्नोस्टिक्स और उनके उपचार से संबंधित है।
बीवीएससी एंड एएच कोर्स का स्कोप काफी अधिक है और इस कोर्स को करने के बाद सरकारी नौकरी पाने की संभावना काफी अधिक रहती है। बीवीएससी एंड एएच की डिग्री के बाद अपना पशु चिकित्सा क्लीनिक भी शुरू किया जा सकता है और साथ ही नयी दवाओं को विकसित करने के लिए रिसर्च सेंटर्स के साथ काम भी कर सकते हैं ।
सिद्धा डॉक्टर कैसे बनें (How to Become a Siddha doctor) – बीएसएमएस कोर्स
बीएसएमएस (बैचलर ऑफ सिद्धा मेडिसिन एंड सर्जरी) सिद्धा सिस्टम ऑफ मेडिसिन का अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम है। जो AYUSH (Ayurvedha, Yoga and Naturopathy, Unani, Siddha and Homeopathy) में सबसे प्राचीन है। जो छात्र डॉक्टर बनने की ख्वाहिश तो रखते हैं, लेकिन एमबीबीएस या बीडीएस सीट प्राप्त नहीं कर पाते हैं उनके लिए बीएसएमएस ‘डॉक्टर बनने का’ एक अच्छा मौका लेकर आता है। भारत में BSMS कोर्स की अवधि 5.5 वर्ष है, जिसमें साढ़े 4 वर्ष की क्लासरूम स्टडी होती है जबकि अंतिम 1 वर्ष में कम्पल्सरी इंटर्नशिप की जाती है। बीएसएमएस कोर्स के सिलेबस में बायो-केमिस्ट्री, मेडिसिनल बॉटनी, माइक्रोबायोलॉजी, एनॉटमी, सिद्धा पैथोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी आदि की पढ़ाई कराई जाती है। बीएसएमएस कोर्स करने के बाद छात्र अपने नाम के आगे ‘डॉक्टर’ की सम्मानित पदवी का प्रयोग कर सकते हैं।
भारत में शीर्ष 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज (चिकित्सा/एमबीबीएस)
एम्स नई दिल्ली
एम्स नई दिल्ली एक बार फिर नंबर वन बन गया है। एम्स में क्लिनिकल एक्सपोजर बेजोड़ हैं। अस्पताल हर साल 35 लाख मरीजों का इलाज करते हैं। यह सब्सिडी वाली ट्यूशन फीस राशि वसूलने के लिए जाना जाता है। यह चिकित्सा संस्थान बैचलर ऑफ ऑप्टोमेट्री, बैचलर ऑफ सर्जरी और बैचलर ऑफ मेडिसिन जैसे विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करता है। अस्पताल प्रशासन में एमडी / एमएस (सर्जरी के मास्टर), एम.डी.एस और एमडी। इन पाठ्यक्रमों के अलावा, जैव रसायन, शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान, नर्सिंग, परमाणु चिकित्सा प्रौद्योगिकी आदि जैसे विभिन्न धाराओं में कई अन्य पाठ्यक्रम हैं।
एम्स में प्रवेश के लिए हर साल मई में एम्स की प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। हालांकि इस कॉलेज में एडमिशन मिलना बहुत मुश्किल है। हजारों उम्मीदवारों में से केवल 70 ही एम्स में प्रवेश पाते हैं।
पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़
पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ अपने छात्रों को शैक्षिक, अनुसंधान, चिकित्सा और प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करता है। स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान सुपर विशेषज्ञ पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है। इसके अलावा, यह दैनिक आधार पर बड़ी संख्या में रोगियों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर
कॉलेज 1900 में अस्तित्व में आया और एक स्वायत्त संस्थान है। कॉलेज ने हमेशा एमबीबीएस के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ निजी मेडिकल कॉलेजों की सूची में शीर्ष स्थान पर कब्जा किया है। कॉलेज भारत में अपने चिकित्सा प्रतिष्ठानों के लिए भी जाना जाता है जैसे कि 1986 में पहला अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण, 1971 में पहला गुर्दा प्रत्यारोपण, 1961 में पहली ओपन हार्ट सर्जरी।
इसका परिसर ग्रामीण और शहरी दोनों है और 200 एकड़ में फैला हुआ है। पीटर जॉन विक्टर संस्थान के वर्तमान निदेशक हैं। लोकप्रिय रूप से सीएमसी के रूप में जाना जाता है, यह तमिलनाडु डॉ एम जी आर से संबद्ध है। चिकित्सा विश्वविद्यालय जो चेन्नई में स्थित है। कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स के लिए 100 सीटें हैं।।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ प्रदेश के प्रसिद्ध संस्थानों में से एक है। इसकी स्थापना वर्ष 1911 में वेल्स के तत्कालीन राजकुमार किंग जॉर्ज पंचम ने की थी। इसे पहले छत्रपति शाहूजी महाराज मेडिकल यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता था। यह चिकित्सा संस्थान अच्छे बुनियादी ढांचे और सुविधा प्रदान करने के लिए जाना जाता है। कॉलेज एमबीबीएस, एमडी, बीडीएस, एमडीएस जैसे स्नातक पाठ्यक्रम और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम दोनों प्रदान करता है।
जिपमर पुडुचेरी
जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुडुचेरी की स्थापना वर्ष 1823 में हुई थी और यह सबसे पुरानी सरकार में से एक है। चिकित्सा महाविद्यालय। संस्थान 37 विभिन्न विषयों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करता है। इसमें एक कार्यरत अस्पताल भी है जो बड़ी संख्या में रोगियों को सस्ती चिकित्सा उपचार प्रदान करता है। यह अपना प्रशासन चलाने के लिए स्वायत्तता के साथ एक केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थान है। जिपमर, पुडुचेरी में प्रवेश के लिए छात्रों को कॉलेज द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा को पास करना होता है।
बीएचयू वाराणसी
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय उत्तर भारत में एक प्रतिष्ठित सरकारी मेडिकल कॉलेज है। कॉलेज की स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी। इसमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम हैं। संस्थान को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI), भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है।
जिगर और पित्त विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली
लीवर और पित्त विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली यकृत और पित्त संबंधी रोगों के लिए एक मोनो-सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है। इसकी स्थापना 2009 में हुई थी और इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। इसे यूजीसी, भारत द्वारा डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। लिवर और पित्त संस्थान में कुल 24 नामांकन हैं।
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना 1962 में हुई थी और यह उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से एक है। कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का एक वैधानिक निकाय है। जेएनएमसी स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा स्तरों में विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करता है। यह उत्तर प्रदेश का एक शीर्ष मेडिकल कॉलेज है।
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज नवंबर 2001 में स्थापित किया गया था और नैदानिक अभ्यास के लिए प्रमुख सफदरजंग अस्पताल से जुड़ा हुआ है। यह नवीनतम सुविधाओं के साथ दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल है। मेडिकल कॉलेज गुरु गोबिंद सिंह आईपी यूनिवर्सिटी दिल्ली से संबद्ध है। यह उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा प्रदान करता है और प्रयोगशालाएं पूरी तरह से सुसज्जित हैं। यहां स्नातक, स्नातकोत्तर और विशेष पाठ्यक्रमों सहित लगभग 25 पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। उनके पास प्रति वर्ष 700 से अधिक छात्रों का सेवन है।
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, बेलगाम
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, बेलगाम की स्थापना 1963 में हुई थी और यह कर्नाटक के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेजों में से एक है। यह केएलई विश्वविद्यालय का एक घटक मेडिकल स्कूल है। जेएनएमसी बेलगाम पहले राज्य एकात्मक राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्ध था। एमबीबीएस और एमडी के अलावा, कॉलेज लगभग 42 पाठ्यक्रम प्रदान करता है। जेएनएमसी को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अनुमोदित किया गया है और इसमें एमबीबीएस के लिए 200 सीटें हैं।
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली की स्थापना 1971 में हुई थी। दिल्ली का यह मेडिकल कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है। यूसीएमएस गुरु तेग बहादुर अस्पताल से जुड़ा है जो प्रशिक्षण अस्पताल के रूप में कार्य करता है। संस्थान अपने रोगियों को आधुनिक तकनीकी सुविधाएं और सर्वोत्तम सेवा प्रदान करता है। एमबीबीएस, बीडीएस, एमडीएस, एमएस, डिप्लोमा यहां दिए जाने वाले पाठ्यक्रम हैं। संस्थान का उद्देश्य उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षण के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है।
डॉक्टर बनने के लिए कितने साल का कोर्स होता है – How many years is the course to become a doctor
डॉक्टर कैसे बने? नाइन सेमेस्टर एमबीबीएस कोर्स में होते हैं, 541 कॉलेज है भारत में , इसमें 82926 सीट एमबीबीएस मेडिकल की होती है । सरकारी सीट 278 और निजी संस्थान की 236 सीट होती है ।
डॉक्टर बनने के लिए कॉलेज की फ़ीस – College Fees To Become A Doctor
अगर आप एमबीबीएस में एडमिशन लेते हैं तो एक सरकारी काॅलेज की फीस 15,000 से लेकर एक लाख सालाना हो सकती है । सबसे कम फीस AIIMS की है जो लगभग 1600 रुपए सालाना होती है। वहीं एमबीबीएस प्राइवेट काॅलेज की फीस 5 लाख से लेकर 25 लाख रुपए तक हो सकती है। कुछ कॉलेजों की फीस इससे भी ज्यादा है।
डॉक्टर की सैलरी-Doctor’s salary
एमबीबीएस डॉक्टर की सैलरी इंस्टिट्यूट के आधार पर होती है । लेकिन जब आप एक डॉक्टर बन जाते है उसके बाद आरंभ में कम से कम 40-50 हज़ार रुपये महीने का आसानी सैलेरी मिल जाता है। वही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र सरकार के अस्पतालों में डॉक्टर का आरंभिक वेतन 70-80 हजार रुपये तक दिया जाता है वैसे डॉक्टर बनने के बाद खुद का क्लिनिक खोल कर भी एक अच्छी कमाई कर सकते है |
एमबीबीएस डॉक्टर बनने के बाद क्या करे-What to do after becoming MBBS doctor
एमबीबीएस डॉक्टर बनने के बाद आप एडवांस कोर्स कर सकते हैं।
- डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी)
- मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस)
डॉक्टर बनने के बाद कौन सी जॉब कर सकता है – Which job can I do after becoming a doctor?
- रिसर्च इंस्टीट्यूट
- हॉस्पिटल
- मेडिकल कॉलेज
- मेडिकल ट्रस्ट
- फार्मास्युटिकल और बायो टेक्नोलॉजी कंपनियां ,आदि ।